Global story:
जी-20 में भारत का ग्लोबल विजन: क्या मोदी ने विश्व विकास की नई राह दिखाई? Modi Shapes Global Development
जोहान्सबर्ग में, सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण अफ्रीका में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत के सभ्यतागत मूल्यों के अनुरूप वैश्विक विकास को नया स्वरूप देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण पहलों का प्रस्ताव रखा।
‘समावेशी और सतत आर्थिक विकास, जिसमें कोई पीछे न छूटे’ विषय पर आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक विकास मानदंडों पर गहन पुनर्विचार का आह्वान किया।
उन्होंने जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर जी-20 ने लंबे समय से वैश्विक वित्त और विकास को आकार दिया है, लेकिन प्रचलित मॉडलों ने बड़ी आबादी को संसाधनों से वंचित किया है और प्रकृति के अति-दोहन को बढ़ावा दिया है।
ये चुनौतियाँ अफ्रीका में तीव्र रूप से महसूस की जा रही हैं, जो इस वर्ष पहली बार जी-20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी कर रहा है।
यह एक ऐसा क्षण है जब हमें अपने विकास मानदंडों पर पुनर्विचार करने और समावेशी एवं सतत विकास पर केंद्रित होने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी विदेश नीति के प्रमुख स्तंभों में से एक ‘एकात्म मानववाद’ के सिद्धांत को आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करने वाला बताया।
यह दर्शन साझा समृद्धि और प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित है, जो आज की विश्व आर्थिक व्यवस्था के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।
इस ग्लोबल मंच पर भारत ने सिर्फ चुनौतियों को उजागर नहीं किया बल्कि ठोस समाधानों की भी पेशकश की, जो एक अधिक न्यायसंगत और टिकाऊ भविष्य के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत के नेतृत्व में यह पहल जी-20 को एक ऐसे मंच के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक कदम है, जो केवल आर्थिक संकेतकों पर ही नहीं, बल्कि मानव कल्याण और पर्यावरणीय स्थिरता पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
प्रधानमंत्री के इस दृष्टिकोण ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सोचने पर मजबूर किया है कि विकास की परिभाषा को व्यापक और समावेशी कैसे बनाया जाए।
- पीएम मोदी ने जी-20 में समावेशी और सतत विकास का प्रस्ताव रखा।
- उन्होंने वर्तमान ग्लोबल विकास मानदंडों पर पुनर्विचार का आह्वान किया।
- भारत ने अफ्रीका के संदर्भ में एकात्म मानववाद के सिद्धांत को प्रस्तुत किया।
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Posted on 23 November 2025 | Check सत्यालेख.com for more coverage.
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