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मुंबई में 'डिजिटल गिरफ्तारी' से ₹53 लाख ठगे, क्या इंटरनेट सुरक्षा है नाकाफी? Digital Arrest Fraud Mumbai
मुंबई में, सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, साइबर अपराधियों ने एक नई और जटिल डिजिटल धोखाधड़ी को अंजाम दिया है, जिसमें 60 वर्षीय एक व्यवसायी को ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के नाम पर 53 लाख रुपये का चूना लगाया गया है।
यह घटना साइबर ठगी के बढ़ते मामलों की ओर इशारा करती है, जहां अपराधी लोगों को ठगने के लिए लगातार नई तकनीक और इंटरनेट का दुरुपयोग कर रहे हैं।
अग्निपाड़ा इलाके के पीड़ित को जालसाजों ने खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बड़े अधिकारी बताकर डराया और उसे पूरी रात वीडियो कॉल पर 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा, जिससे व्यवसायी भयभीत होकर उनकी मांगों को मानने पर मजबूर हो गया।
‘डिजिटल अरेस्ट’ एक ऐसी ऑनलाइन ठगी है जिसमें अपराधी, पुलिस, सीबीआई या किसी अन्य सरकारी एजेंसी का अधिकारी बनकर किसी व्यक्ति को फोन या स्मार्टफोन पर वीडियो कॉल करके यह यकीन दिलाते हैं कि वह किसी अपराध में शामिल है।
वे फर्जी दस्तावेज या सबूत दिखाकर डिजिटल तरीके से गिरफ्तारी की धमकी देते हैं और फिर जुर्माना, बैंक डिटेल्स या पैसे की मांग करते हैं।
यह पूरी प्रक्रिया व्यक्ति को मानसिक दबाव में रखकर उसकी जानकारी या पैसे ऐंठने के लिए डिज़ाइन की गई है।
इस तरह के जाल में फंसाने के लिए अपराधी अक्सर उन्नत तकनीक और संचार गैजेट का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनके फर्जीवाड़े को पहचानना मुश्किल हो जाता है।
बढ़ते साइबर अपराधों के इस दौर में, व्यक्तिगत साइबर सुरक्षा उपायों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अज्ञात नंबरों से आने वाली कॉल या संदिग्ध लिंक पर भरोसा नहीं करना चाहिए।
किसी भी सरकारी अधिकारी द्वारा फोन पर पैसे या बैंक डिटेल्स मांगने पर तुरंत सतर्क हो जाएं और सत्यापन के लिए सीधे संबंधित विभाग से संपर्क करें।
यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि ऑनलाइन लेनदेन और व्यक्तिगत जानकारी साझा करते समय अत्यधिक सावधानी बरतना कितना आवश्यक है ताकि डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहा जा सके।
- मुंबई के व्यवसायी को 'डिजिटल गिरफ्तारी' स्कैम में ₹53 लाख का नुकसान हुआ।
- साइबर ठगों ने पुलिस अधिकारी बनकर इंटरनेट और तकनीक का दुरुपयोग किया।
- ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए अज्ञात कॉल्स और लिंक्स से सतर्क रहना जरूरी।
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Posted on 18 November 2025 | Stay updated with सत्यालेख.com for more news.
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