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बिहार राजनीति में बड़ा बदलाव: क्या नीतीश कुमार अब भाजपा के बिना नहीं? Bihar Politics Guides Nation
बिहार में, सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वह कथन एक बार फिर प्रासंगिक हो उठा है कि बिहार की राजनीति देश को दिशा दिखाती है।
इस विधानसभा चुनाव के जनादेश ने जहां विपक्षी दलों को उनकी स्थिति से अवगत कराया, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी यह स्पष्ट कर दिया है कि अगले पांच साल तक भाजपा के मजबूत समर्थन के बिना उनका मुख्यमंत्री पद पर बने रहना मुश्किल होगा।
इस बार वे पहले की तरह राजनीतिक पाला बदलने की स्थिति में नहीं होंगे और भाजपा के साथ मिलकर ही काम करना होगा।
नई सरकार के गठन को लेकर बिहार में तस्वीर अब काफी हद तक साफ हो चुकी है।
एनडीए गठबंधन की ओर से नीतीश कुमार की ही ताजपोशी मुख्यमंत्री के तौर पर होगी, जबकि भाजपा को दो उपमुख्यमंत्री पद दिए जाने की प्रबल संभावना है।
इस चुनाव में भाजपा न केवल सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, बल्कि उसने जदयू के बिना भी अन्य सहयोगी दलों के साथ मिलकर जादुई आंकड़े को पार कर लिया है।
ऐसे में नीतीश कुमार के लिए बिहार की राजनीति में भाजपा के साथ किसी भी तरह की सौदेबाजी करना अब पहले जैसा आसान नहीं रहा।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बार-बार यह दोहराया है कि चुनाव परिणामों के बावजूद गठबंधन के मुख्यमंत्री का चेहरा नीतीश कुमार ही बने रहेंगे, लेकिन अब यह स्पष्ट है कि सत्ता का संतुलन भाजपा के पक्ष में झुका हुआ है।
यह नई राजनीतिक परिस्थिति बिहार के आगामी विकास और प्रशासनिक निर्णयों पर गहरा प्रभाव डालेगी।
नीतीश कुमार को अब भाजपा की प्राथमिकताओं और नीतियों के अनुरूप चलना होगा, जिससे राज्य की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू होगा।
इस चुनाव परिणाम ने स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य की बिहार राजनीति में भाजपा एक केंद्रीय भूमिका निभाएगी।
- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब भाजपा के मजबूत दबाव में काम करेंगे।
- बिहार चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जिससे उसका पलड़ा भारी है।
- नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक सौदेबाजी अब पहले जैसी आसान नहीं होगी।
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Posted on 22 November 2025 | Check सत्यालेख.com for more coverage.
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