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पूर्व CJI गवई के आरक्षण बयान के राजनीतिक मायने: न्यायपालिका में नई बहस? Cji Gavai's Pivotal Constitutional Questions
सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में कुछ ऐसे वैधानिक और वैचारिक मुद्दे उठाए हैं, जिनके दूरगामी न्यायिक और राजनीतिक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
दलित बौद्ध समुदाय से आने वाले पूर्व सीजेआई ने अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) आरक्षण में क्रीमी लेयर को बाहर रखने का समर्थन कर एक नई बहस छेड़ दी है, वहीं न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली का भी जोरदार बचाव किया।
उनके ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब देश की राजनीति आरक्षण और न्यायिक नियुक्तियों जैसे संवेदनशील विषयों पर लगातार गरमाई हुई है, जिसका सीधा असर आने वाले चुनावों पर पड़ने की संभावना है।
पूर्व सीजेआई गवई का यह विचार कि एससी-एसटी कोटा से संपन्न वर्ग को बाहर रखा जाना चाहिए, सीधे तौर पर सामाजिक न्याय और समानता के मौजूदा ढाँचे को प्रभावित करता है।
इस मुद्दे पर विभिन्न नेता और राजनीतिक दल जैसे कांग्रेस और बीजेपी अपने-अपने दृष्टिकोण रखते आए हैं।
क्रीमी लेयर को लेकर यह बहस लंबे समय से चल रही है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के शीर्ष पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा इसका समर्थन किए जाने से इस पर फिर से विचार-विमर्श की आवश्यकता महसूस होगी।
न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सेवानिवृत्ति के बाद वह किसी भी सरकारी पद को स्वीकार नहीं करेंगे, जो कि न्यायिक स्वतंत्रता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी महिला न्यायाधीश की नियुक्ति न होने पर खेद व्यक्त करना, न्यायपालिका में लैंगिक संतुलन को लेकर चल रही चर्चाओं को और बल देता है।
गवई के इन विचारों का भारतीय राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है, खासकर आरक्षण की नीति और न्यायिक नियुक्तियों के भविष्य को लेकर।
यह देखना दिलचस्प होगा कि उनके इन तर्कों को भावी न्यायिक फैसलों और राजनीतिक विमर्श में किस प्रकार जगह मिलती है, और क्या इससे न्यायपालिका के भीतर और बाहर कोई नई सियासत जन्म लेती है।
- पूर्व सीजेआई गवई ने एससी-एसटी कोटा में क्रीमी लेयर को बाहर रखने का समर्थन किया।
- उन्होंने न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली का पुरजोर बचाव किया।
- गवई ने सेवानिवृत्ति के बाद कोई भी सरकारी पद स्वीकार न करने का संकल्प दोहराया।
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Posted on 30 November 2025 | Stay updated with सत्यालेख.com for more news.
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