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आतंकवाद का बदलता चेहरा: क्या तकनीक से पनप रही है नई राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती? Evolving India Terrorism Conspiracy
सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीनगर से दिल्ली तक फैली एक भयावह साजिश ने भारत में आतंकवाद के विकसित होते स्वरूप को उजागर किया है, जो अब पेशेवर, नेटवर्क-आधारित और सामाजिक भरोसे के साथ-साथ भौतिक लक्ष्यों को भी निशाना बना रहा है।
श्रीनगर की जामा मस्जिद पर चुपचाप चिपकाए गए जैश-ए-मोहम्मद के कुछ पोस्टरों से शुरू हुई यह घटनाक्रम अब कई विचलित कर देने वाली वारदातों में बदल गया है।
जो पहले केवल फौरी उकसावा प्रतीत होता था, वह वास्तव में एक व्यापक षड्यंत्र का पहला सूत्र निकला, जिसकी जड़ें विभिन्न क्षेत्रों, व्यवसायों और डिजिटल नेटवर्कों तक फैली हुई थीं।
इस बड़ी साजिश का पर्दाफाश दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के बाहर हुए एक अप्रत्याशित विस्फोट के कारण हुआ।
दिल्ली-फरीदाबाद का एक असाधारण रूप से परिष्कृत मॉड्यूल सामने आया, जिसमें पेशेवर डॉक्टर और उच्च शिक्षित युवा शामिल पाए गए।
यह दर्शाता है कि आधुनिक आतंकवाद की जड़ें अब समाज के उन वर्गों में भी घुसपैठ कर रही हैं, जिनकी कल्पना पहले नहीं की गई थी।
यह प्रतीत होता है कि लाल किले पर हुआ विस्फोट किसी अनुभवी विशेषज्ञ की बजाय, यूट्यूब जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म से सीखे हुए 'आईईडी डॉक्टर' द्वारा अमोनियम नाइट्रेट से किया गया एक आकस्मिक धमाका था।
इस अनुभवहीनता ने ही इस षड्यंत्र की परतें खोलीं।
आतंकवाद का यह नया रूप अब पारंपरिक प्रशिक्षण शिविरों पर निर्भर नहीं है, बल्कि तकनीक और डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके स्वयं-कट्टरता को बढ़ावा दे रहा है।
यह प्रवृत्ति भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करती है।
इसमें राजनीति और सामाजिक ताने-बाने को अस्थिर करने का प्रयास भी स्पष्ट दिखता है।
सुरक्षा एजेंसियों को अब सिर्फ भौतिक निगरानी ही नहीं, बल्कि डिजिटल परिदृश्य पर भी कड़ी नजर रखनी होगी ताकि इस बदलते खतरे से निपटा जा सके।
देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना अब नेताओं की प्रमुख प्राथमिकता होनी चाहिए, चाहे वे किसी भी दल, जैसे कांग्रेस या बीजेपी से संबंधित हों।
आने वाले चुनाव में भी यह मुद्दा महत्वपूर्ण बन सकता है, ऐसे में सभी दलों को आतंकवाद के खिलाफ एक साझा रणनीति पर विचार करना चाहिए।
- श्रीनगर से दिल्ली तक फैला नेटवर्क-आधारित आतंकवाद उजागर हुआ है।
- आतंकवाद अब पारंपरिक शिविरों की बजाय तकनीक और डिजिटल माध्यमों से प्रेरित है।
- उच्च शिक्षित पेशेवर भी इस नए आतंकी मॉड्यूल में शामिल पाए गए हैं।
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Posted on 19 November 2025 | Follow सत्यालेख.com for the latest updates.
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