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अंतरराष्ट्रीय रक्षा सहयोग: फ्रांस संग भारत की इंजन डील, क्या है इसका महत्व? India Boosts Defense Self Reliance
सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अपनी रक्षा आत्मनिर्भरता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय कदम उठाया है।
देश अपने स्वदेशी तेजस मार्क वन और मार्क टू विमानों के उत्पादन कार्यक्रम को गति देने के लिए प्रयासरत है, जिसमें पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का विकास भी शामिल है।
हालांकि, इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक (GE) कंपनी से प्राप्त होने वाले 404 और 414 प्रकार के इंजनों की आपूर्ति में अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा था।
अमेरिका की ओर से इंजनों की आपूर्ति में अक्सर देरी और रुकावटें आती रही हैं, जिसके कारण 2025 तक पूरा होने वाला तेजस कार्यक्रम अब 2030 तक खिंचने की आशंका है।
अमेरिका ने प्रतिमाह दो इंजनों की आपूर्ति का वादा किया था, लेकिन वह भी पूरा नहीं हो पा रहा है।
इसी पृष्ठभूमि में, भारत ने फ्रांस के साथ एक नई और रणनीतिक डील को अंतिम रूप दिया है, जो रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' पहल को बढ़ावा देगी।
इस अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत, भारत में ही लड़ाकू विमानों के इंजन का निर्माण किया जाएगा और राफेल विमानों का भी उत्पादन होगा।
यह डील ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (प्रौद्योगिकी हस्तांतरण) के पूर्ण प्रावधानों के साथ संपन्न हुई है, जिसका अर्थ है कि भारत को उन्नत विमान इंजन निर्माण की पूरी जानकारी और विशेषज्ञता प्राप्त होगी।
राफेल बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविएशन और फ्रांस को अन्य कई देशों से भी ऐसे ऑफर मिल रहे हैं, लेकिन भारत के साथ यह समझौता विशेष महत्व रखता है।
यह कदम भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूती प्रदान करेगा और 'विदेश' निर्भरता को कम करेगा।
यह सहयोग न केवल भारत की वायुसेना को अत्याधुनिक तकनीक से लैस करेगा, बल्कि उसे वैश्विक रक्षा बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगा।
यह 'ग्लोबल' स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करेगा और भविष्य की रक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करेगा।
इस समझौते से भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे वह 'विश्व' मंच पर अपनी पहचान और अधिक दृढ़ता से स्थापित कर सकेगा।
- भारत ने फ्रांस के साथ लड़ाकू विमान इंजन निर्माण की डील की।
- अमेरिकी इंजन आपूर्ति में देरी से तेजस कार्यक्रम प्रभावित हुआ।
- समझौते में पूर्ण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल, रक्षा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा।
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Posted on 29 November 2025 | Keep reading सत्यालेख.com for news updates.
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