बढ़ती उम्र, बढ़ता करियर: राजनीति कैसे संवार रही वरिष्ठ नागरिकों का भविष्य? Mumbai Career Lifespan Issue

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बढ़ती उम्र, बढ़ता करियर: राजनीति कैसे संवार रही वरिष्ठ नागरिकों का भविष्य? Mumbai Career Lifespan Issue

मुंबई में सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, जहां जीवनकाल बढ़ने के साथ ही करियर की अवधि भी लंबी होती जा रही है, यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बन गया है।

हाल ही में मुंबई में आयोजित एक जॉब फेयर में 5,500 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों की उपस्थिति ने इस बदलती तस्वीर को उजागर किया।

इनमें एक 59 वर्षीय व्यक्ति की कहानी सामने आई, जो अपनी 38 साल की लंबी सेवा के बाद सेवानिवृत्ति के एक साल पहले अपने भविष्य को लेकर चिंतित थे।

साउथ मुंबई में आवास का किराया और पत्नी की लंबी यात्राओं से बचने की इच्छा, उनके जैसे कई वरिष्ठों के लिए सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि व्यापक आर्थिक और शहरी नियोजन से जुड़े मुद्दे भी उठाती है।

यह दिखाता है कि कैसे वरिष्ठ नागरिकों का बढ़ता समूह देश की राजनीति के लिए एक नया फोकस क्षेत्र बन सकता है, जहां सरकार को रोजगार और सामाजिक सुरक्षा नीतियों पर गंभीरता से विचार करना होगा।

भारत में कई अनुभवी लोग, जिनकी उत्पादकता और उत्साह कम नहीं हुआ है, वे अपने पेशेवर जीवन के बाद भी सक्रिय रहना चाहते हैं।

मुकेश अंबानी जैसे उद्योगपतियों का उदाहरण यह दर्शाता है कि साठ की उम्र के बाद भी व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी योजनाओं को साकार कर सकता है।

ऐसे में, समाज और नेतागणों के लिए यह समझना आवश्यक है कि सेवानिवृत्ति सिर्फ एक पड़ाव नहीं, बल्कि जीवन का एक नया अध्याय हो सकता है, जिसके लिए नई पहचान और अवसरों की आवश्यकता है।

वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में, यह एक ऐसा विषय है जो आने वाले चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, क्योंकि लाखों वरिष्ठ नागरिक अपनी गरिमापूर्ण सक्रियता और आत्मनिर्भरता के लिए सरकारी समर्थन की अपेक्षा करते हैं।

चाहे वह सत्ताधारी बीजेपी हो या विपक्षी कांग्रेस, सभी राजनीतिक दलों को इस बढ़ती जनसांख्यिकी की जरूरतों को समझना होगा।

यह सिर्फ व्यक्तिगत पहचान का प्रश्न नहीं, बल्कि एक राष्ट्र के रूप में हमारी प्राथमिकताओं और मानवीय पूंजी के अधिकतम उपयोग का भी मामला है।

वरिष्ठ नागरिकों को केवल आश्रित के रूप में देखने के बजाय, उनकी क्षमताओं और अनुभवों को राष्ट्रीय विकास में शामिल करने की नीतिगत पहल अब समय की मांग है।

  • वरिष्ठ नागरिकों का बढ़ता करियर और नई पहचान की तलाश एक सामाजिक मुद्दा बन रहा है।
  • मुंबई जॉब फेयर में 5500 से अधिक वरिष्ठों की सक्रियता ने नई बहस छेड़ी।
  • राजनीतिक दलों के लिए वरिष्ठ नागरिकों से जुड़ी नीतियां और आत्मनिर्भरता अब अहम है।

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Posted on 25 November 2025 | Check सत्यालेख.com for more coverage.

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