मोबाइल की गिरफ्त में जनता: क्या राजनीति के प्रति उदासीनता बढ़ा रही है? Mumbai Child Incident Responsibility Questions

0

Election news:

मोबाइल की गिरफ्त में जनता: क्या राजनीति के प्रति उदासीनता बढ़ा रही है? Mumbai Child Incident Responsibility Questions news image

मोबाइल की गिरफ्त में जनता: क्या राजनीति के प्रति उदासीनता बढ़ा रही है? Mumbai Child Incident Responsibility Questions

मुंबई में, सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, 20 मई 2025 को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर एक हृदयविदारक घटना ने सार्वजनिक सजगता और नागरिक जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

जहाँ चार साल की आरोही अपनी माँ की गोद से अचानक लापता हो गई, वहीं आसपास बैठे अधिकतर लोग अपने मोबाइल फोन में इतने लीन थे कि वे न तो पोस्टर देख पाए, न ही अनाउंसमेंट सुन पाए और न ही इस संवेदनशील घटना के गवाह बन पाए।

यह केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि एक व्यापक सामाजिक प्रवृत्ति का प्रतीक है, जो जनता को अपने तात्कालिक परिवेश और सामाजिक सरोकारों से विमुख कर रही है।

इस घटना ने सीधे तौर पर यह प्रश्न उठाया है कि क्या मोबाइल फोन की बढ़ती लत राजनीति और शासन के प्रति जनता की उदासीनता बढ़ा रही है।

जब नागरिक अपने आसपास के घटनाक्रमों से इतने कटे हुए हैं, तो सार्वजनिक सुरक्षा, नागरिक अधिकारों और सरकार की जवाबदेही जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी भागीदारी कैसे सुनिश्चित होगी? नेता अक्सर जन-जागरूकता अभियानों की बात करते हैं, लेकिन क्या ऐसे अभियान तब प्रभावी हो सकते हैं जब समाज का एक बड़ा वर्ग डिजिटल दुनिया में खोया हुआ हो? चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी, सभी राजनीतिक दलों के लिए यह विचारणीय है कि वे कैसे इस डिजिटल विभाजन को पाटें और नागरिकों को उनके सामाजिक और राजनीतिक दायित्वों के प्रति जागरूक करें।

यह विशेष रूप से चुनाव के समय महत्वपूर्ण हो जाता है, जब मतदाताओं से सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा की जाती है।

सोलापुर से आए इस परिवार की त्रासदी एक कड़वी सच्चाई उजागर करती है: जब लोग अपने मोबाइल से निगाहें हटाकर आसपास देखने लगते हैं, तो वे न केवल मानवीय संवेदनाओं से जुड़ते हैं, बल्कि समाज और राजनीति की बारीक चुनौतियों को भी समझने लगते हैं।

सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था और नागरिक चेतना, दोनों ही किसी भी सुशासन के लिए अनिवार्य हैं।

यह घटना एक चेतावनी है कि प्रौद्योगिकी का अत्यधिक उपयोग हमें न केवल व्यक्तिगत रूप से अलग-थलग कर रहा है, बल्कि सामूहिक रूप से हमारी सामाजिक और राजनीतिक चेतना को भी प्रभावित कर रहा है, जिससे भविष्य में बड़े नीतिगत बदलावों की आवश्यकता पड़ सकती है।

  • मुंबई घटना ने मोबाइल आसक्ति से नागरिक सजगता में कमी को उजागर किया।
  • राजनीतिक दलों और सरकार के लिए जनता की उदासीनता एक चुनौती है।
  • प्रौद्योगिकी का अत्यधिक उपयोग सामाजिक और राजनीतिक चेतना को प्रभावित कर रहा है।

Related: Technology Trends | Bollywood Highlights


Posted on 29 November 2025 | Stay updated with सत्यालेख.com for more news.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)
/*-- Don't show description on the item page --*/
To Top