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पाकिस्तान ने स्वीकारा: तालिबान पर भरोसा नहीं, विदेश नीति की बड़ी चुनौती Pakistan Hopes With Taliban Fading
इस्लामाबाद से सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में स्वीकार किया है कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन के साथ इस्लामाबाद की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं।
दोनों देशों के बीच बढ़ते सीमा तनाव के मद्देनजर, रक्षा मंत्री का यह बयान मंगलवार को आया, जब अफगानिस्तान में तालिबान अधिकारियों ने पाकिस्तान पर रात भर हुए हमलों का उचित जवाब देने की कसम खाई थी, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी।
इन हमलों के बाद पेशावर में हुए एक आत्मघाती बम विस्फोट ने भी तनाव को और बढ़ा दिया था, जिसने पूरे क्षेत्र में सुरक्षा चिंताओं को गहरा कर दिया है।
यह स्थिति उस समय पैदा हुई है जब अक्टूबर में कतर और तुर्की की मध्यस्थता से दोनों पक्षों के बीच किया गया युद्धविराम अभी भी प्रभावी है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
जियो न्यूज़ को दिए एक साक्षात्कार में ख्वाजा आसिफ ने कहा कि काबुल पर तालिबान के कब्ज़े के बाद उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उनका स्वागत किया था और संबंधों को मज़बूत बनाने के लिए कई बार अफगानिस्तान की यात्रा की थी।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने तालिबान से दोस्ती का हाथ बढ़ाया, यह सोचकर कि उनके साथ बेहतर संबंध स्थापित किए जा सकते हैं, लेकिन सभी प्रयास व्यर्थ साबित हुए।
रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि तालिबान, पाकिस्तान के लिए भरोसेमंद सहयोगी नहीं हैं।
उन्होंने कहा, "जब काबुल में उनकी सरकार बनी, तो हमने सोचा कि शायद तालिबान का शासन उनके अपने धर्म और शरिया के आधार पर होगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
" यह टिप्पणी पाकिस्तान की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है, विशेषकर अपने पश्चिमी पड़ोसी के संबंध में।
यह मौजूदा स्थिति केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच ही नहीं, बल्कि एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन गई है।
पड़ोसी देशों और विश्व समुदाय के लिए इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखना एक चुनौती है।
ग्लोबल स्तर पर क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि सभी पक्ष संयम बरतें और शांतिपूर्ण समाधान खोजें।
पाकिस्तान का यह कबूलनामा कि तालिबान पर भरोसा नहीं किया जा सकता, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी चर्चा का विषय बन सकता है, जिससे अफगानिस्तान की स्थिति और वहां की शासन व्यवस्था पर नए सिरे से विचार किया जा सकता है।
- पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने तालिबान पर अविश्वास व्यक्त किया।
- सीमा पर हमलों से 10 लोग मारे गए, तनाव बढ़ा।
- पाकिस्तान की तालिबान से संबंध सुधारने की कोशिशें विफल।
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Posted on 27 November 2025 | Check सत्यालेख.com for more coverage.
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