Devotional story:
श्रीराम-सीता और जयंत प्रसंग: आध्यात्मिक सबक जो गलती स्वीकारने का महत्व उजागर करे Ramayana Forgiveness Ego Lesson
सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय धर्म ग्रंथ रामायण में एक ऐसा प्रसंग मिलता है, जो हमें क्षमा और अहंकार के परिणामों के बारे में गहरा आध्यात्मिक संदेश देता है।
यह कथा देवराज इंद्र के पुत्र जयंत से जुड़ी है, जिसने अपनी पिता की शक्ति के मद में एक बड़ी भूल की थी।
वनवास के दौरान, जब भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण चित्रकूट में निवास कर रहे थे, तब देवराज इंद्र के पुत्र जयंत को अपने देवराज पिता का पुत्र होने का अभिमान था।
उसे लगता था कि स्वर्ग का राजकुमार होने के कारण उसके किसी भी कृत्य के लिए उसे कोई दंड नहीं दे सकता।
एक दिन, जयंत ने भगवान श्रीराम की शक्ति का आकलन करने का विचार किया और कौए का रूप धारण कर माता सीता के समीप जा पहुँचा।
श्रीराम और सीता शांतिपूर्वक वार्तालाप कर रहे थे, तभी अहंकारी जयंत ने कौए के वेश में माता सीता के चरणों में चोंच मारकर उन्हें पीड़ा पहुँचाई।
माता सीता को अचानक हुई पीड़ा देखकर भगवान श्रीराम विचलित हो गए।
उन्होंने बिना विलंब किए एक सामान्य तिनका उठाया, उसे मंत्रों से अभिमंत्रित किया और जयंत की ओर छोड़ दिया।
वह साधारण सा दिखने वाला तिनका ब्रह्मास्त्र की भांति जयंत का पीछा करने लगा।
भयभीत होकर जयंत तुरंत अपने वास्तविक स्वरूप में लौट आया और अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगा।
उसने सबसे पहले अपने पिता इंद्र से सहायता मांगी, लेकिन इंद्रदेव ने स्पष्ट कर दिया कि यह अपराध तुमने स्वयं श्रीराम और सीता के प्रति किया है, अतः मैं इसमें तुम्हारी कोई सहायता नहीं कर सकता।
इस घटना से यह शिक्षा मिलती है कि व्यक्ति को अपनी गलती स्वीकार करने की क्षमता विकसित करनी चाहिए और जिसने भी किसी के साथ गलत किया हो, उसे उसी से क्षमा मांगनी चाहिए।
यह प्रसंग हमें अहंकार त्याग कर धर्म के मार्ग पर चलने और विनम्रता धारण करने का महत्वपूर्ण संदेश देता है।
- जयंत ने श्रीराम की शक्ति परखने कौए का रूप धरा और सीता को कष्ट पहुँचाया।
- श्रीराम के साधारण तिनके से अभिमंत्रित ब्रह्मास्त्र का जयंत पर प्रभाव पड़ा।
- अपराध स्वीकारने और जिससे गलती की, उसी से क्षमा मांगने का आध्यात्मिक संदेश।
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Posted on 21 November 2025 | Check सत्यालेख.com for more coverage.
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