धर्म और राजनीति: क्या मानवीय दक्षता ही है सफलता की कुंजी? राजनीति Success Redefined Wisdom Efficiency

0

Leader spotlight:

धर्म और राजनीति: क्या मानवीय दक्षता ही है सफलता की कुंजी? राजनीति Success Redefined Wisdom Efficiency news image

धर्म और राजनीति: क्या मानवीय दक्षता ही है सफलता की कुंजी? राजनीति Success Redefined Wisdom Efficiency

सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, आज के दौर में सफलता की परिभाषा सिर्फ धन या पद से नहीं आंकी जा सकती, बल्कि यह मानवीय विवेक और आंतरिक दक्षता पर निर्भर करती है।

अनुभवी पत्रकार पं. विजयशंकर मेहता ने अपने नवीनतम कॉलम में इस गहन सत्य को उजागर करते हुए बताया कि जीवन के हर क्षेत्र में, विशेषकर राजनीति और करियर में, सही निर्णय लेने की क्षमता ही वास्तविक जीत सुनिश्चित करती है।

मेहता जी श्रीकृष्ण के महाभारत युद्ध पूर्व के दृष्टांत का हवाला देते हैं, जहां उन्होंने अपनी सेना और स्वयं में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया था।

दुर्योधन ने सत्ता और बल का प्रतीक सेना को चुना, जबकि अर्जुन ने कृष्ण के आध्यात्मिक मार्गदर्शन और विवेक को प्राथमिकता दी, भले ही उन्होंने शस्त्र न उठाने का वचन दिया था।

यह निर्णय, जो धर्म और नीति के गहरे सिद्धांतों पर आधारित था, अंततः अर्जुन की विजय का मार्ग प्रशस्त किया।

वर्तमान भारतीय राजनीति में भी, नेताओं और जनता को ऐसे ही महत्वपूर्ण 'चुनाव' का सामना करना पड़ता है, जहाँ तात्कालिक लाभ से अधिक दूरगामी नैतिक मूल्यों और 'मानवीय दक्षता' को चुनना ही दीर्घकालिक सफलता का आधार बनता है।

उनका कहना है कि बच्चों को केवल दौलत या स्वतंत्रता देने के बजाय, उन्हें यह सिखाना चाहिए कि क्या लेना है और कैसे लेना है, यह विवेक कैसे जगाया जाए।

नौकरी के संदर्भ में भी, रिज्यूमे से लेकर इस्तीफा या बर्खास्तगी तक, केवल 'मानवीय दक्षता' ही व्यक्ति को टिका सकती है।

यह दक्षता न केवल व्यक्तिगत करियर में, बल्कि देश की समग्र राजनीति और सामाजिक संरचना में भी आवश्यक है।

यदि हम इस परमशक्ति रूपी दक्षता को बचाए रख सकें, तो हर 'चुनाव' में जीत सुनिश्चित है, चाहे वह व्यक्तिगत हो या राष्ट्रीय।

यह सीख आज की 'कांग्रेस' और 'बीजेपी' जैसी प्रमुख पार्टियों के 'नेता' और समर्थकों के लिए भी उतनी ही प्रासंगिक है, जो सही और गलत के बीच अपने विवेक का इस्तेमाल कर सकें।

  • मानवीय दक्षता और विवेक ही वास्तविक सफलता का आधार है।
  • अर्जुन ने कृष्ण का विवेक चुना, दुर्योधन ने शक्ति; यही राजनीति का सार है।
  • बच्चों को सही निर्णय लेने की शिक्षा देना सबसे महत्वपूर्ण है।

Related: Education Updates


Posted on 21 November 2025 | Follow सत्यालेख.com for the latest updates.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)
/*-- Don't show description on the item page --*/
To Top