क्या डिजिटल क्रांति जनता की पसंद को बदल पाई? तकनीक का वास्तविक दुनिया पर असर Tech Revolution, Traditional Habits Endure

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क्या डिजिटल क्रांति जनता की पसंद को बदल पाई? तकनीक का वास्तविक दुनिया पर असर Tech Revolution, Traditional Habits Endure

सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, तकनीकी क्रांति ने भले ही दुनिया को पूरी तरह से बदलने के दावे किए हों, लेकिन वास्तविक दुनिया में लोगों की पसंद और पारंपरिक आदतें आज भी अपनी जगह बनाए हुए हैं।

एक दशक पहले विशेषज्ञों का अनुमान था कि डिजिटल और वर्चुअल दुनिया भौतिक अस्तित्व को मिटा देगी।

ई-बुक्स छपी हुई किताबों को खत्म कर देंगी, ऑनलाइन शॉपिंग दुकानों को खाली कर देगी और स्वचालित इलेक्ट्रिक टैक्सियों के बेड़े सड़कों से कारों को हटा देंगे।

कुछ भविष्यवाणियों ने तो 2024 तक अमेरिका में जीवाश्म ईंधन से चलने वाली कारों की बिक्री शून्य होने की बात कही थी।

हालांकि, आज हम देखते हैं कि पुराना न केवल आश्चर्यजनक रूप से नए के मुकाबले टिक रहा है, बल्कि फल-फूल भी रहा है।

यह प्रवृत्ति दिखाती है कि भले ही तकनीक तेजी से विकसित हो रही हो, मानव व्यवहार उतनी तेजी से नहीं बदलता और राजनीति तथा सामाजिक नियोजन में इसे समझना महत्वपूर्ण है।

भौतिक दुनिया में पले-बढ़े उपभोक्ता आज भी पारंपरिक चीजों के साथ अधिक सहज महसूस करते हैं।

अमेरिका में हुए एक सर्वेक्षण में दो-तिहाई लोगों ने उस समय में लौटने की इच्छा व्यक्त की जब हर कोई 'प्लग्ड-इन' नहीं था।

यह सिर्फ तकनीकी उपकरणों से दूरी बनाने की बात नहीं है, बल्कि एक व्यापक सामाजिक प्रवृत्ति का संकेत है जो जनता के विचारों को प्रभावित करती है।

पिछले दशक में यह आशंका व्यक्त की जा रही थी कि पाठक सोशल मीडिया की छोटी पोस्टों को पसंद करेंगे, लेकिन आज भी लंबे और विस्तृत लेखों का महत्व बरकरार है।

यह तथ्य चुनाव के समय मतदाताओं की मानसिकता को समझने में सहायक हो सकता है।

यह प्रवृत्ति विभिन्न राजनीतिक दलों, चाहे वह कांग्रेस हो या बीजेपी, के नेता को अपनी संवाद रणनीतियों पर पुनर्विचार करने का अवसर देती है, ताकि वे केवल डिजिटल माध्यमों पर निर्भर न रहें बल्कि मानवीय जुड़ाव के पारंपरिक तरीकों को भी महत्व दें।

वास्तव में, डिजिटल दुनिया और वास्तविक दुनिया एक-दूसरे के पूरक बन गए हैं, न कि एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी।

मनुष्य की सहज प्रवृत्ति और उसकी भौतिक दुनिया से लगाव, किसी भी तकनीकी प्रगति की गति को निर्धारित करता है।

यह हमें यह समझने में मदद करता है कि समाज कैसे बदलता है और क्यों भविष्य की भविष्यवाणी करते समय मानवीय व्यवहार को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

  • डिजिटल क्रांति के बावजूद, पारंपरिक दुनिया मजबूती से टिकी हुई है।
  • उपभोक्ता अभी भी भौतिक अनुभवों और पारंपरिक चीजों को प्राथमिकता देते हैं।
  • मानवीय व्यवहार और आदतें तकनीकी प्रगति की गति को धीमा करती हैं।

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Posted on 29 November 2025 | Visit सत्यालेख.com for more stories.

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