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क्या है उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर का आध्यात्मिक महत्व और पौराणिक कथा? Ujjain Harsiddhi Shaktipeeth Significance
उज्जैन में, सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, क्षिप्रा तट पर स्थित हरसिद्धि माता मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है, जो अपनी गहरी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है।
यह प्राचीन मंदिर केवल आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि भक्तों की अनगिनत पूजा और मनोकामनाओं की पूर्ति का गवाह भी है।
विशेषकर नवरात्रि के दौरान, इस तीर्थ स्थल का वातावरण अलौकिक और दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाता है, जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु माँ के दर्शन और आशीर्वाद पाने के लिए उमड़ते हैं।
इस पवित्र भूमि पर शक्ति की उपासना का एक विशेष स्थान है, जो सनातन धर्म की जड़ों को और भी मजबूत करता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव अपनी पत्नी सती के पार्थिव शरीर को लेकर ब्रह्मांड में भ्रमण कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के अंगों को विच्छेदित कर दिया था।
जहाँ-जहाँ सती के अंग गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठों की स्थापना हुई।
उज्जैन का यह हरसिद्धि मंदिर उन्हीं पवित्र स्थलों में से एक है, जहाँ देवी सती की कोहनी गिरी थी।
इसी कारण, यह स्थान शक्ति पूजा और भक्ति का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है, जहाँ देवता और भक्त दोनों का गहरा संबंध देखा जा सकता है।
यह स्थान न केवल एक धर्म स्थल है बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का भी प्रतीक है।
यह मंदिर अपनी विशिष्टता और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए जाना जाता है, जो भक्तों को शांति और शक्ति प्रदान करती है।
यहाँ आने वाले हर भक्त को माँ का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, जिससे इस पवित्र तीर्थ की महिमा और भी बढ़ जाती है।
- उज्जैन का हरसिद्धि मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।
- मान्यता है कि यहाँ माँ सती की कोहनी गिरी थी, जो इसे शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र बनाती है।
- नवरात्रि में यहाँ भक्तों की विशेष भीड़ होती है, जहाँ मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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Posted on 27 November 2025 | Follow सत्यालेख.com for the latest updates.
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