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महाशिवरात्रि पर क्यों करें शिव-पार्वती विवाह कथा का पाठ? जानिए आध्यात्मिक महत्व Mahashivratri Shiva Parvati Wedding Festival
सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
यह दिन दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि लाने के लिए विशेष महत्व रखता है।
इस शुभ अवसर पर भगवान शिव-पार्वती के विवाह की पावन कथा का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना गया है, जिससे वैवाहिक जीवन में खुशहाली का संचार होता है और पारिवारिक संबंधों में मधुरता आती है।
यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जिसे कई श्रद्धालु बड़े भक्तिभाव से करते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्माजी ने नारद को इस दिव्य विवाह की कथा सुनाई थी।
कथा में वर्णित है कि पर्वतराज हिमाचल और उनकी पत्नी मेना ने अपनी पुत्री पार्वती का कन्यादान बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ किया।
मेना ने स्वर्ण कलश धारण कर पति हिमवान के दाहिने भाग में बैठ कन्यादान की विधि पूर्ण की।
पुरोहितों की उपस्थिति में शैलराज हिमाचल ने पाद्य आदि के द्वारा वर, भगवान शिव का पूजन किया और उन्हें चंदन, वस्त्र व आभूषण अर्पित कर उनका वरण किया।
यह क्षण भारतीय धर्म और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण देवता के विवाह का प्रतीक है।
इसके उपरांत, हिमाचल ने ब्राह्मणों से तिथि आदि के कीर्तनपूर्वक कन्यादान के संकल्प वाक्य बोलने का आग्रह किया, क्योंकि शुभ अवसर आ चुका था।
इस पवित्र पूजा विधि और कथा के श्रवण से श्रद्धालुओं को भगवान शिव और मां पार्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनके जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
यह कथा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि वैवाहिक संबंधों की पवित्रता और प्रतिबद्धता का भी संदेश देती है, जिसे महाशिवरात्रि पर स्मरण करना आध्यात्मिक रूप से अत्यंत फलदायी है।
- महाशिवरात्रि पर शिव-पार्वती विवाह कथा पाठ से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।
- ब्रह्माजी ने नारद को सुनाई भगवान शिव और पार्वती के दिव्य विवाह की कथा।
- पर्वतराज हिमाचल ने मेना सहित भगवान शिव का वरण कर कन्यादान किया था।
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Posted on 01 December 2025 | Stay updated with सत्यालेख.com for more news.
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