स्मार्टफोन पर सरकारी 'संचार साथी' ऐप: निजता पर सवाल या सुरक्षा का समाधान? Sanchar Saathi App Debate

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स्मार्टफोन पर सरकारी 'संचार साथी' ऐप: निजता पर सवाल या सुरक्षा का समाधान? Sanchar Saathi App Debate

सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार के 'संचार साथी' मोबाइल ऐप को लेकर देश में एक नई बहस छिड़ गई है।

जहां एक ओर सरकार इसे डिजिटल सुरक्षा के एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में प्रस्तुत कर रही है, वहीं विपक्ष, खासकर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी, इसे नागरिकों की निजता पर सीधा हमला और एक संभावित जासूसी तकनीक करार दे रही हैं।

यह ऐप, जिसे प्रत्येक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता के लिए अनिवार्य बताया जा रहा है, ओटीपी पढ़ने और कैमरे तक पहुंच जैसे संवेदनशील अधिकारों के कारण जांच के दायरे में आ गया है।

इस विवाद के केंद्र में यह सवाल है कि क्या यह सरकारी गैजेट वास्तव में उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा बढ़ाएगा या फिर यह सरकार को नागरिकों की गतिविधियों पर व्यापक इंटरनेट-आधारित निगरानी की अनुमति देगा।

यह 'संचार साथी' ऐप वास्तव में केंद्र सरकार का एक डिजिटल सुरक्षा प्रोजेक्ट है, जिसे 17 जनवरी 2025 को लॉन्च किया गया था।

यह गूगल प्ले स्टोर, ऐप स्टोर और इसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिसका उद्देश्य आम लोगों को चोरी हुए स्मार्टफोन ट्रैक करने, अपने नाम पर पंजीकृत सिम कार्ड की जानकारी प्राप्त करने और धोखाधड़ी से बचाने जैसी कई सुविधाएं प्रदान करना है।

हालांकि, ऐप की कुछ अनुमतियां जैसे कि ओटीपी पढ़ना, कैमरे का एक्सेस और डिवाइस की व्यापक जानकारी इकट्ठा करना, चिंता का विषय बन गई हैं।

आलोचकों का मानना है कि ये अनुमतियां एक तरह से 'बैकडोर' के रूप में काम कर सकती हैं, जिससे सरकार या किसी अनधिकृत इकाई को स्मार्टफोन डेटा तक पहुंच मिल सकती है।

इस तकनीक के संभावित दुरुपयोग को लेकर बहस तेज हो गई है, खासकर तब जब एआई-आधारित निगरानी प्रणालियों का प्रचलन बढ़ रहा है।

इस विवाद के बीच, सरकार ने ऐप को 'जासूसी' के आरोपों से खारिज करते हुए, इसे लोगों की सुरक्षा के लिए एक आवश्यक पहल बताया है।

हालांकि, निजता अधिकार कार्यकर्ताओं और तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी ऐसे ऐप को अनिवार्य बनाना, जो उपयोगकर्ता के गैजेट की इतनी गहरी अनुमतियों का अनुरोध करता है, हमेशा संदेह पैदा करेगा।

लोगों की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा सुनिश्चित करना आज के डिजिटल युग में एक जटिल चुनौती है, और सरकार को इस तकनीक के पीछे के इरादों और सुरक्षा तंत्रों को लेकर अधिक पारदर्शिता दिखानी होगी ताकि आम जनता का विश्वास बना रहे।

  • प्रियंका गांधी ने संचार साथी ऐप को जासूसी तकनीक बताया; निजता हनन का आरोप।
  • सरकार ने ऐप को डिजिटल सुरक्षा परियोजना बताया, चोरी हुए गैजेट ट्रैक करने में सहायक।
  • ऐप की OTP व कैमरा एक्सेस जैसी अनुमतियों पर स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं में चिंता।

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Posted on 03 December 2025 | Follow सत्यालेख.com for the latest updates.

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