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वाहन फिटनेस टेस्ट 10 गुना महंगा: तकनीकी उन्नयन, जानें नई दरें और प्रभाव Indian Vehicle Test Fees Soar
सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पुरानी गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट अब काफी महंगा हो गया है, कुछ मामलों में यह वृद्धि 10 गुना तक पहुंच गई है।
मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज (MoRTH) ने सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स (फिफ्थ अमेंडमेंट) के तहत वाहन फिटनेस सर्टिफिकेट टेस्ट की फीस में इजाफा किया है, जिसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
इस कदम का सीधा असर वाहन मालिकों की जेब पर पड़ेगा, खासकर उन पर जो अपने पुराने वाहनों को सड़क पर चलाए रखना चाहते हैं।
सरकार का यह कदम कहीं न कहीं पुरानी तकनीक वाले वाहनों को सड़क से हटाकर नई और अधिक सुरक्षित तकनीक से लैस वाहनों को बढ़ावा देने की दिशा में एक संकेत भी हो सकता है।
नए नियमों के तहत, 20 साल पुरानी कारों का फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाने के लिए अब 15,000 रुपए का भारी-भरकम शुल्क लगेगा, जबकि बाइक के लिए यह 2,000 रुपए होगा।
हैवी कमर्शियल व्हीकल के मालिकों को तो 25,000 रुपए तक चुकाने होंगे।
यह सिर्फ शुल्क वृद्धि नहीं, बल्कि एक व्यवस्थित बदलाव है, जिसमें गाड़ियों को उनकी उम्र के हिसाब से तीन श्रेणियों – 10 से 15 साल, 15 से 20 साल और 20 साल से अधिक – में बांटा गया है।
जैसे-जैसे वाहन की उम्र बढ़ेगी, फिटनेस टेस्ट का खर्च भी उसी अनुपात में बढ़ेगा।
इन नियमों का उद्देश्य सड़कों पर चलने वाले वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और पर्यावरण मानकों को बनाए रखना है, जिसके लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग अनिवार्य होता जा रहा है।
अब तक, फिटनेस सर्टिफिकेट 15 साल पुरानी गाड़ियों के लिए अनिवार्य था, लेकिन नए नियमों के तहत 10 साल में इसकी आवश्यकता होगी।
इस बदलाव के पीछे गाड़ियों में लगने वाले गैजेट्स और उनकी तकनीकी स्थिति की नियमित जांच का महत्व भी है।
इस भारी शुल्क वृद्धि से उन लोगों पर अधिक भार पड़ेगा जो पुरानी गाड़ियां इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह फैसला सड़क सुरक्षा और वायु प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मंत्रालय का तर्क है कि ये बदलाव पुरानी गाड़ियों की सेफ्टी और पर्यावरण स्टैंडर्ड बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
भविष्य में, फिटनेस टेस्ट की प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिए इंटरनेट आधारित सिस्टम और शायद एआई-पावर्ड डायग्नोस्टिक्स जैसी तकनीकों का उपयोग भी देखा जा सकता है, जिससे वाहन मालिकों को अपने स्मार्टफोन पर टेस्ट की जानकारी मिल सके।
यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वाहन सुरक्षित रहें और पर्यावरण के लिए हानिकारक न हों, भले ही इसकी कीमत में बढ़ोतरी हो।
- पुरानी गाड़ियों के फिटनेस टेस्ट की फीस 10 गुना तक बढ़ी।
- 20 साल पुरानी कार के लिए ₹15,000 और बाइक के लिए ₹2,000 शुल्क।
- उम्र के हिसाब से 3 कैटेगरी में वाहनों का फिटनेस टेस्ट।
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Posted on 23 November 2025 | Keep reading सत्यालेख.com for news updates.
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