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लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष की ज़रूरत: कांग्रेस का घटता प्रभाव क्या चुनौती है? Bihar Elections Spark Opposition Debate
सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय लोकतंत्र में एक सशक्त राष्ट्रीय विपक्षी दल की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, हालिया बिहार "चुनाव" परिणामों ने एक गहन बहस को जन्म दिया है।
जहां एनडीए गठबंधन ने एकतरफा जीत हासिल की, वहीं देश की एकमात्र राष्ट्रीय विपक्षी पार्टी "कांग्रेस" का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा, जिसने मात्र 8.7% वोटों के साथ 6 सीटें जीतीं।
एक दौर था जब "कांग्रेस" केवल एक "राजनीति" दल नहीं, बल्कि एक विशाल राष्ट्रीय आंदोलन थी, जिसने अपने आदर्शों और सशक्त नेतृत्व से एक नवगठित राष्ट्र की दिशा तय की थी।
हालांकि, आज "कांग्रेस" लगातार कमजोर होती जा रही है, मानो वह अपने सुनहरे अतीत के वैभव में ही कैद होकर रह गई हो।
हर चुनावी हार के बाद यह सवाल उठता है कि क्या "कांग्रेस" का अस्तित्व खतरे में है? "कांग्रेस" का मूल विचार आज भी प्रासंगिक है, लेकिन उसे ज़मीन पर लागू करने का माद्दा रखने वाली पार्टी त्रासद रूप से बिखर चुकी है।
1984 में अंतिम बार पूर्ण बहुमत प्राप्त करने के बाद से, "कांग्रेस" का प्रदर्शन लोकसभा और विधानसभा "चुनावों" में लगातार गिरता चला गया है।
2014 में "बीजेपी" के उदय और "नेता" नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व के बाद से तो यह गिरावट और भी तीव्र हो गई है।
यह स्थिति भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करती है, क्योंकि एक मजबूत और प्रभावी विपक्ष ही सरकार को जवाबदेह ठहराने और नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक है।
"कांग्रेस" का लगातार कमजोर होना देश की "राजनीति" में संतुलन को बिगाड़ रहा है और बहुदलीय प्रणाली के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा रहा है, जिससे लोकतंत्र के लिए एक मजबूत विकल्प की तलाश और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
- बिहार चुनाव में कांग्रेस का निराशाजनक प्रदर्शन, सिर्फ 6 सीटें जीतीं।
- भारतीय राजनीति में मजबूत विपक्षी दल की अनिवार्यता पर जोर।
- 1984 के बाद से कांग्रेस की लगातार चुनावी गिरावट।
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Posted on 22 November 2025 | Follow सत्यालेख.com for the latest updates.
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