अयोध्या के आध्यात्मिक पर्व पर पाकिस्तान का राजनीतिक विरोध क्यों? Pakistan Opposes India's Rise

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अयोध्या के आध्यात्मिक पर्व पर पाकिस्तान का राजनीतिक विरोध क्यों? Pakistan Opposes India's Rise

सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की बढ़ती शक्ति और सांस्कृतिक प्रतिष्ठा से पाकिस्तान की असहमति कोई नई बात नहीं है।

यह उसकी संकीर्ण सोच और भारत विरोधी राजनीति का स्थायी हिस्सा बन चुकी है।

हाल ही में अयोध्याजी में श्रीराम मंदिर पर हुए भव्य ध्वजारोहण समारोह को लेकर पाकिस्तान की बौखलाहट ने एक बार फिर उसकी मानसिक दिवालियापन का प्रदर्शन किया है।

यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं था, बल्कि भारत की गहरी सांस्कृतिक चेतना, सभ्यतागत स्मृति और राष्ट्रीय स्वाभिमान का एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिसने पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया।

पाकिस्तान ने इस ऐतिहासिक घटना का न केवल खुलकर विरोध किया, बल्कि इसे संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों तक ले जाकर शिकायत दर्ज कराई, मानो भारत के हर आंतरिक मामले में बाधा डालना ही उसकी कूटनीतिक जिम्मेदारी हो।

यह रवैया स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वह भारतीयता के स्वाभाविक सद्भाव में सेंध लगाने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहता।

पाकिस्तान की कूटनीति लगातार भारत के खिलाफ एक नकारात्मक एजेंडा चलाने पर केंद्रित रही है।

इससे पहले भी, श्रीराम मंदिर के निर्माण के अवसर पर उसने अनर्गल विरोध दर्ज कराया था, जो उसकी पूर्वाग्रही मानसिकता का परिचायक है।

भारतीय उपमहाद्वीप में शांति और सह-अस्तित्व के मार्ग में यह एक बड़ी बाधा है, जहां एक देश लगातार दूसरे की प्रगति और सांस्कृतिक उन्नयन को शत्रुतापूर्ण दृष्टि से देखता है।

भारत की विदेश नीति, जो शांति और सहयोग पर केंद्रित है, को ऐसे तत्वों से निरंतर चुनौती मिलती रहती है।

भारतीय नेता लगातार इस बात पर जोर देते रहे हैं कि यह भारत का आंतरिक मामला है और बाहरी हस्तक्षेप अस्वीकार्य है।

इस तरह की प्रतिक्रियाएं पाकिस्तान की अपनी आंतरिक कमजोरियों और राजनीतिक अस्थिरता से ध्यान भटकाने का एक प्रयास भी प्रतीत होती हैं।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के बढ़ते कद और उसकी आध्यात्मिक विरासत की स्वीकार्यता को स्वीकार करने में उसे कठिनाई होती है।

यह प्रवृत्ति न केवल क्षेत्रीय संबंधों को जटिल बनाती है, बल्कि वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है।

भारत, एक मजबूत लोकतांत्रिक देश के रूप में, अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संजोने और उसे विश्व के सामने प्रस्तुत करने के अपने अधिकार पर अडिग है, बावजूद इसके कि पड़ोसी देश की राजनीति इस पर कैसी भी प्रतिक्रिया दे।

  • पाकिस्तान ने श्रीराम मंदिर के ध्वजारोहण को भारत का आंतरिक मामला मानते हुए भी विरोध किया।
  • यह घटना पाकिस्तान की भारत विरोधी राजनीति और कूटनीतिक दिवालियापन दर्शाती है।
  • अयोध्या का यह समारोह भारत की सांस्कृतिक चेतना व राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक था।

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Posted on 30 November 2025 | Follow सत्यालेख.com for the latest updates.

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