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भक्तों के धर्म रक्षक! विष्णु के नरसिंह और वामन अवतारों की अद्भुत कथाएँ जानिए Vishnu Incarnations Establish Dharma
सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, जब-जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ा है और भक्तों पर संकट आया है, तब-तब जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु ने धर्म की स्थापना के लिए विभिन्न अवतार धारण किए हैं।
पौराणिक कथाओं में उनके नरसिंह और वामन अवतार विशेष महत्व रखते हैं, जो भक्तों की अटूट आस्था और भगवान की सर्वशक्तिमानता का प्रतीक हैं।
इन दिव्य कथाओं में भगवान ने अपने भक्तों की पुकार सुनकर, हर बाधा को दूर कर, उनके जीवन में सुख-शांति प्रदान की।
प्राचीन काल में, दुष्ट राजा हिरण्यकश्यप ने अपने भाई हिरण्याक्ष के वध का बदला लेने के लिए ब्रह्मा जी से अजेय होने का वरदान प्राप्त किया था।
वरदान के मद में उसने स्वयं को ही 'देवता' घोषित कर दिया और अपनी प्रजा को केवल अपनी 'पूजा' करने का आदेश दिया।
उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, जिससे क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने उसे कई यातनाएँ दीं।
जब सभी प्रयास विफल हो गए, तो एक खंभे से भगवान नरसिंह के रूप में प्रकट होकर भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध किया और 'धर्म' की रक्षा की।
यह 'अवतार' भगवान के अपने भक्तों के प्रति प्रेम और उनकी रक्षा के संकल्प का अद्भुत प्रमाण है।
वहीं, त्रेतायुग में राजा बलि ने अपने बल और तपस्या से तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था।
स्वर्ग पर उनके बढ़ते प्रभाव से चिंतित 'देवता' और इंद्र ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी।
तब भगवान विष्णु ने एक छोटे ब्राह्मण बालक, वामन के रूप में अवतार लिया।
राजा बलि जब अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे, तब वामन 'तीर्थ' पर पहुंचे और बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी।
राजा बलि ने सहर्ष सहमति दे दी।
वामन देव ने विराट रूप धारण कर एक पग में पृथ्वी, दूसरे पग में स्वर्ग को नाप लिया और तीसरे पग के लिए बलि से पूछा।
अपनी प्रतिज्ञा का पालन करते हुए राजा बलि ने अपना मस्तक आगे कर दिया।
भगवान वामन ने बलि को पाताल लोक का राजा बनाकर उनकी दानवीरता का सम्मान किया और देवताओं को उनका राज्य लौटाया।
ये कथाएँ आज भी लाखों श्रद्धालुओं को भगवान के प्रति गहरी आस्था रखने और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।
- भगवान नरसिंह ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा हेतु हिरण्यकश्यप का वध किया।
- भगवान वामन ने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगकर तीनों लोकों को मुक्त कराया।
- ये अवतार धर्म की स्थापना और भक्तों की सुरक्षा के भगवान के संकल्प को दर्शाते हैं।
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Posted on 16 November 2025 | Check सत्यालेख.com for more coverage.
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