सनसनीखेज: पालिका अध्यक्ष के बेटे पर रेप का आरोप लगाने वाली पीड़िता ने की आत्महत्या की कोशिश; सुसाइड नोट में बयां किया दर्द

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 शिवपुरी शहर की राजनीति और गलियारों में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा और उनके बेटे पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली युवती ने मौत को गले लगाने की कोशिश की। युवती ने आत्महत्या से पहले सोशल मीडिया पर एक भावुक और रोंगटे खड़े कर देने वाला सुसाइड नोट साझा किया, जिसमें उसने न्याय न मिलने और भारी मानसिक दबाव का ज़िक्र किया है।

​घटना का विवरण: 40 नींद की  गोलियां और चूहे मारने की दवा खाई

​मिली जानकारी के अनुसार, पीड़िता ने अपनी जीवनलीला समाप्त करने के इरादे से एक साथ 40 नींद की गोलियां और चूहे मारने वाली दवा का सेवन कर लिया। हालत बिगड़ने पर परिजनों ने उसे आनन-फानन में जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों की एक विशेष टीम उसकी जान बचाने की जद्दोजहद में जुटी है।

सुसाइड नोट में लगाए गंभीर आरोप

​सोशल मीडिया पर वायरल हुए सुसाइड नोट में युवती ने अपनी व्यथा साझा की है। नोट के मुख्य अंश इस ओर इशारा करते हैं:

​न्याय में देरी: पीड़िता ने लिखा कि आरोपी रसूखदार होने के कारण पुलिस और प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं।

​सामाजिक प्रताड़ना: युवती का आरोप है कि उसे और उसके परिवार को लगातार डराया-धमकाया जा रहा था।

​सत्ता का रसूख: नोट में स्पष्ट रूप से नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा और उनके बेटे के प्रभाव का ज़िक्र किया गया है, जिसके चलते उसकी सुनवाई नहीं हो रही थी।

​"मै हार गई हूँ... जब रसूख और सत्ता न्याय के आड़े आ जाए, तो मरने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता। मेरी मौत के ज़िम्मेदार वो लोग हैं जिन्होंने मेरी इज़्ज़त लूटी और वो भी जो उन्हें बचा रहे हैं।" — (युवती के सुसाइड नोट का अंश)

​राजनीतिक गलियारों में हलचल

​चूंकि मामला सीधे तौर पर नगर पालिका अध्यक्ष से जुड़ा है, इसलिए शहर में तनाव का माहौल है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार और प्रशासन को घेरना शुरू कर दिया है। पुलिस प्रशासन अब बैकफुट पर है और आला अधिकारियों का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी।

​पुलिस का बयान: "हमें सोशल मीडिया पोस्ट और आत्महत्या के प्रयास की सूचना मिली है। पीड़िता का इलाज प्राथमिकता है। सुसाइड नोट में नामजद लोगों और आरोपों की गंभीरता से जांच की जाएगी। कानून अपना काम करेगा।"

​यह घटना हमारी न्याय व्यवस्था और रसूखदारों के खिलाफ आम नागरिक की लड़ाई पर बड़े सवाल खड़े करती है। जब एक पीड़िता को न्याय की उम्मीद खत्म होती दिखती है, तभी वह ऐसा आत्मघाती कदम उठाती है।

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