गौशाला संचालन के लिए शासन-प्रशासन द्वारा हर वर्ष लाखों रुपये की राशि स्वीकृत की जाती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट नजर आती है। गौशाला में न प्रकाश की समुचित व्यवस्था है, न सर्दी से बचाव के लिए हीटर, और न ही बीमार व घायल गोवंश के इलाज की कोई ठोस व्यवस्था मौजूद है।
सूचना मिलने पर गौ सेवक कल्लू महाराज तत्काल मौके पर पहुंचे। निरीक्षण के दौरान उन्होंने देखा कि गौशाला परिसर में कई गोवंश मृत अवस्था में पड़े हैं, जबकि अनेक गोवंश गंभीर रूप से घायल, कुपोषित और बीमार हालत में तड़पते नजर आए। सर्दी के कारण कमजोर गोवंश लगातार दम तोड़ रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।
गौ सेवक कल्लू महाराज ने प्रशासन की निष्क्रियता पर तीखा हमला करते हुए कहा
"यह अब गौशाला नहीं रही, बल्कि भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है। गौ माता मरती रहे और पैसा आता रहे यही कुछ लोगों का धंधा बन गया है। यदि शासन-प्रशासन यूं ही हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा, तो गौशाला में लगातार ऐसी ही मौतें होती रहेंगी।"
उन्होंने कलेक्टर महोदय एवं एसडीएम साहब से मांग की है कि वे स्वयं मौके पर पहुंचकर विधि पूर्वक जांच करें और गौशाला संचालन में जो भी दोषी पाया जाए, उसके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।गौ सेवकों और ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते प्रशासन ने सख्ती नहीं बरती, तो ऐसी गौशालाएं आने वाले समय में भी गोवंश के लिए श्मशान घाट बनी रहेंगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
सिरसोद पंचायत की गौशाला का दृश्य—जहां मृत अवस्था में पड़ा गोवंश और आसपास खड़े अन्य पशु व्यवस्थाओं की बदहाली और लापरवाही की पोल खोलते नजर आते हैं।


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