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स्वामी अवधेशानंद गिरि: आध्यात्मिक धर्म, विश्व बंधुत्व का सूत्र क्या है? Sanatan Dharma Unity Equality Brotherhood
सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, सनातन धर्म की संस्कृति एकता, समानता और विश्व बंधुत्व का प्रबल संदेश देती है।
हमारी प्राचीन परंपरा हमें यह शिक्षा प्रदान करती है कि पूरे विश्व के सभी जीव – मनुष्य, पशु-पक्षी, वनस्पति, जलचर और थलचर – एक ही बड़े परिवार के सदस्य हैं।
इस पवित्र धर्म के अनुसार, हर जीव के सुख, सम्मान और हित की रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है।
जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि अपने जीवन सूत्रों में इसी धर्म के मूल सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हैं, बताते हैं कि हमें अपने आसपास के सभी प्राणियों और मनुष्यों के प्रति कैसा व्यवहार रखना चाहिए।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक-दूसरे का परस्पर सहयोग ही संसार में शांति और सौहार्द स्थापित कर सकता है।
स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के अनुसार, सच्चे मानवीय मूल्यों का विकास तभी संभव है जब हम सभी जीवों को समान दृष्टि से देखें और उनके प्रति करुणा रखें।
यह सिखाता है कि हम न केवल मनुष्यों के प्रति बल्कि पशु-पक्षियों और प्रकृति के प्रति भी संवेदनशील हों।
मंदिरों और तीर्थ स्थानों में भी यही संदेश प्रतिध्वनित होता है, जहां सभी जीवों के कल्याण की कामना की जाती है।
हमारे पूर्वजों ने भी इस धर्म का पालन करते हुए सभी के प्रति सेवा भाव रखा।
हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलकर अपने व्यवहार में प्रेम और सहयोग को अपनाना होगा, तभी एक ऐसे समाज का निर्माण हो सकेगा जहां सभी देवता तुल्य जीवन जी सकें और एक-दूसरे के प्रति सम्मान का भाव रखें।
यह एक ऐसी पूजा है जो सिर्फ कर्मकांड तक सीमित न होकर जीवन के हर पहलू को समाहित करती है।
- स्वामी अवधेशानंद ने सभी जीवों को एक परिवार का सदस्य बताया।
- सनातन धर्म विश्व बंधुत्व और आपसी सहयोग का संदेश देता है।
- हर जीव के सुख, सम्मान और हित की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।
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Posted on 02 December 2025 | Keep reading सत्यालेख.com for news updates.
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