सेना में धर्म और कर्तव्य का संतुलन: सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या सिखाता है? Supreme Court Faith Balance

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सेना में धर्म और कर्तव्य का संतुलन: सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या सिखाता है? Supreme Court Faith Balance

सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने भारतीय सशस्त्र बलों में निजी आस्था और पेशेवर दायित्वों के बीच नाजुक संतुलन पर एक महत्वपूर्ण बहस को फिर से उजागर किया है।

यह निर्णय लेफ्टिनेंट सैमुअल कमलेशन की बर्खास्तगी से संबंधित है, जिन्हें धार्मिक परेड में शामिल न होने और रेजिमेंटल पूजा-स्थलों में प्रवेश से इनकार करने के कारण सेवामुक्त किया गया था।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फौज की वर्दी में निजी आस्था संस्थागत कर्तव्य पर हावी नहीं हो सकती, क्योंकि उनका रुख रेजिमेंटल एकजुटता को कमजोर करता था, जिसे घोर अनुशासनहीनता करार दिया गया।

भारतीय सेना अपने आप में धर्मनिरपेक्षता का एक अनूठा मॉडल प्रस्तुत करती है, जो उपेक्षा के बजाय समावेश पर आधारित है।

रेजिमेंटल मंदिर, गुरुद्वारे, सर्व-धर्म-स्थल और यूनिट चर्च केवल पूजा-स्थल नहीं, बल्कि पहचान, परंपरा, मनोबल और साझा उद्देश्यों के प्रतीक हैं जो सैनिकों के बीच एकता की भावना को मजबूत करते हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन अपने लेख में इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे उनके परिवार, जिसमें उनके सेना अधिकारी माता-पिता भी शामिल थे, सहज रूप से इन रेजिमेंटल परंपराओं का हिस्सा थे, जो सेना की समावेशी संस्कृति का प्रमाण है।

यह फैसला भारतीय राजनीति के गलियारों में भी चर्चा का विषय बन सकता है, जहां राष्ट्र की एकता और सुरक्षा से जुड़े मामले हमेशा प्रमुख रहते हैं।

विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भी अक्सर सेना के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की बात करते हैं, और यह निर्णय एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करता है।

यह फैसला सिर्फ एक व्यक्तिगत बर्खास्तगी का मामला नहीं है, बल्कि यह देश की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए आचरण के मानकों को स्थापित करता है, जहां कर्तव्य-निष्ठा और अनुशासन सर्वोपरि है।

सुरक्षा बलों की यह नींव राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण है, और ऐसे में किसी भी प्रकार की धार्मिक कट्टरता या निजी मतभेद को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

यह दर्शाता है कि जब देश की सेवा की बात आती है, तो व्यक्तिगत विश्वासों से ऊपर राष्ट्रीय कर्तव्य का पालन करना ही प्राथमिक दायित्व है।

  • सुप्रीम कोर्ट ने सेना में निजी आस्था पर कर्तव्य को सर्वोपरि माना।
  • लेफ्टिनेंट कमलेशन की बर्खास्तगी सही, रेजिमेंटल एकता महत्वपूर्ण।
  • भारतीय सेना की समावेशी धर्मनिरपेक्षता का अनूठा मॉडल।

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Posted on 01 December 2025 | Check सत्यालेख.com for more coverage.

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