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एआई संचालित इंद्रजाल रेंजर: ड्रोन खतरों से कैसे निपटेगी नई तकनीक? Indrajaal Ranger Anti-drone Vehicle Launched
हैदराबाद में, सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया का पहला फुली मोबाइल एआई-इनेबल्ड एंटी-ड्रोन पैट्रोल व्हीकल 'इंद्रजाल रेंजर' लॉन्च किया गया है, जो ड्रोन सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति मानी जा रही है।
यह अत्याधुनिक वाहन सिंगल मूवमेंट में ही ड्रोन को 10 किलोमीटर दूर से सटीकता से डिटेक्ट और ट्रैक करने में सक्षम है।
यही नहीं, इसमें 4 किलोमीटर दूर से किसी भी अनधिकृत ड्रोन को निष्क्रिय करने की क्षमता भी है, जिससे हवाई सुरक्षा को एक नया आयाम मिलेगा।
इस अभूतपूर्व एंटी-ड्रोन गैजेट को हैदराबाद स्थित एरियल डिफेंस सिस्टम कंपनी इंद्रजाल ड्रोन डिफेंस ने विशेष रूप से विकसित किया है।
कंपनी ने इसे शहरों और सीमावर्ती क्षेत्रों में बिना अनुमति उड़ने वाले ड्रोन्स का पता लगाकर उन्हें रोकने के उद्देश्य से डिजाइन किया है।
हैदराबाद में चल रहे प्रतिष्ठित स्टार्टअप इन्क्यूबेटर इवेंट 'टी-हब' में इसे पेश किया गया, जहाँ इसका लाइव डेमो भी दिया गया।
इवेंट के दौरान, कंपनी के सीईओ किरण राजू ने बताया कि यह गाड़ी सीमा पर होने वाली ड्रग्स, हथियारों और विस्फोटकों की अवैध तस्करी को रोकने में बेहद कारगर साबित होगी।
यह वाहन एआई से चलने वाले एक उन्नत कमांड सिस्टम से लैस है, जिसमें शरारती ड्रोन्स से निपटने के लिए ढेर सारे गैजेट्स लगे हैं।
इनमें ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) स्पूफिंग, रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) जैमिंग और एक स्प्रिंग वाला किल स्विच शामिल है, जो ड्रोन को तुरंत मार गिराने में सक्षम है।
यह पूरी तरह से घूमने-फिरने योग्य व्हीकल है और इसकी एआई तकनीक इसे एक स्वायत्त सुरक्षा इकाई बनाती है।
'इंद्रजाल रेंजर' जैसी नई तकनीक और एआई-आधारित समाधान आज के समय की एक बड़ी आवश्यकता बन गए हैं, खासकर जब सुरक्षा चुनौतियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं।
यह पहल न केवल शहरी क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी बल्कि सीमावर्ती इलाकों में राष्ट्रीय सुरक्षा को भी मजबूती प्रदान करेगी, जो इंटरनेट और कनेक्टिविटी के इस युग में बढ़ते ड्रोन खतरों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण हथियार साबित होगी।
- इंद्रजाल रेंजर दुनिया का पहला फुली मोबाइल एआई-इनेबल्ड एंटी-ड्रोन वाहन है।
- यह 10 किमी दूर से ड्रोन का पता लगाता है और 4 किमी तक निष्क्रिय कर सकता है।
- ड्रग्स व हथियारों की तस्करी रोकने में सहायक; GNSS स्पूफिंग और RF जैमिंग जैसी तकनीक शामिल।
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Posted on 28 November 2025 | Visit सत्यालेख.com for more stories.
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