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असम में बहुविवाह कानून बना, क्या धर्म आधारित न्याय से सशक्त होगी नारी शक्ति? Assam Prohibits Polygamy Bill
सत्यालेख की रिपोर्ट के अनुसार, असम में गुरुवार को विधानसभा ने 'असम बहुविवाह निषेध विधेयक, 2025' को पारित कर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है।
इस राष्ट्रीय विधेयक के तहत दूसरी शादी करने पर दस साल तक की जेल की कड़ी सज़ा का प्रावधान किया गया है, जिसका उद्देश्य नारी शक्ति को सामाजिक और कानूनी सुरक्षा प्रदान करना है।
विधेयक को पेश करते हुए, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसकी आवश्यकता को स्पष्ट किया, जिसमें उन्होंने तुर्की जैसे देशों के उदाहरण का भी उल्लेख किया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कानून किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि सच्चे इस्लामी सिद्धांतों का सम्मान करता है।
मुख्यमंत्री सरमा ने विधानसभा में अपने संबोधन में कहा कि इस्लाम बहुविवाह को बढ़ावा नहीं देता है।
उन्होंने लोगों से इस भारत के महत्वपूर्ण विधेयक का समर्थन करने और सच्चा मुसलमान बनने का आग्रह किया।
उनके अनुसार, यह कानून इस्लाम के सिद्धांतों के विरुद्ध नहीं है, बल्कि यह सच्चे इस्लामी लोगों द्वारा सराहा जाएगा।
तुर्की जैसे देशों ने भी बहुविवाह पर प्रतिबंध लगा रखा है, और पाकिस्तान में भी इसके लिए मध्यस्थता परिषद है।
यह दिखाता है कि विभिन्न देश अपनी सामाजिक संरचनाओं को मजबूत करने के लिए ऐसे कदम उठा रहे हैं।
यह विधेयक असम राज्य में बहुविवाह की प्रथाओं को प्रतिबंधित और समाप्त करता है, जिससे समाज में महिलाओं की गरिमा और अधिकारों की रक्षा हो सके।
सरकार का यह कदम देश के अन्य हिस्सों के लिए भी एक मिसाल कायम कर सकता है, जहाँ ऐसी प्रथाएं अभी भी मौजूद हैं।
इस निर्णय से राष्ट्रीय स्तर पर लैंगिक समानता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति होने की उम्मीद है।
- असम विधानसभा ने बहुविवाह निषेध विधेयक, 2025 पारित किया।
- दूसरी शादी करने पर 10 साल तक की जेल का प्रावधान।
- मुख्यमंत्री हिमंत सरमा ने इसे धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि न्यायपूर्ण बताया।
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Posted on 28 November 2025 | Check सत्यालेख.com for more coverage.
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